विश्व की नदी घाटी सभ्यता
मानव पूर्व पाषाणकाल तथा नव पाषाणकाल में अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए विकास की ओर धीरे-धीरे बढ़ने लगा। मानव ने कृषि करना सीख लिया जिससे उसका अस्थिर जीवन समाप्त हुआ तथा वह स्थिर जीवन यापन करने लगा। अब जो प्रमुख आवश्यकता थी वह कृषि के लिए उपजाऊ भूमि, सिंचाई के लिए जल स्रोत, पशुओं के लिए चराहगाह तथा व्यापार के लिए यातायात के साधन आदि।
इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मानव नदी घाटियों में अपना निवास स्थान बनाकर रहने लगा। इस प्रकार संसार में चार प्राचीन सभ्यताएँ विकसित हुई- हड़प्पा सभ्यता (सिंधु नदी), मेसोपोटामिया की सभ्यता (दजला-फरात नदी), मिस्त्र की सभ्यता (नील नदी), तथा चीन की सभ्यता (हवांगहो, यांग्स्टिसीकयांग नदी)।
नदी घाटियों में सभ्यताओं के फलने-फूलने के निम्नांकित कारण थे-
1 नदियों की घाटियों की भूमि उपजाऊ होने के कारण वहां मनुष्यों और पशुओं के लिए भोजन तथा चारा पर्याप्त मात्रा में और सुगमता से मिल जाता था।
2 नदियों के किनारों पर कृषि एवं दैनिक उपयोग के लिए पानी और मकान बनाने के लिए गीली मिट्टी आसानी से मिल जाती थी।
3 नदियों के किनारे मनुष्य को खेती के लिए बिना किसी कठिनाई के सिंचाई के साधन मिल जाते थे और नदियों ने उसे आवागमन की सुविधाएं भी उपलब्ध कराईं।
4 नदी घाटियों की जलवायु ने भी मानव को अपनी सभ्यता और संस्कृति के विकास का अवसर प्रदान किया।
5 नदी घाटियों में विभिन्न सुविधाएं मिल जाने से, पहले गाँवों का और तत्पश्चात् नगरों का विकास हुआ।
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